UP में बड़ी पहल: 4.7 लाख शिक्षकों को मिलेगी नई ट्रेनिंग!

By Jaswant Singh

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UP में बड़ी पहल: 4.7 लाख शिक्षकों को मिलेगी नई ट्रेनिंग!

उत्तर प्रदेश uttar pradesh के परिषदीय विद्यालयों vidalaya में पढ़ाई की गुणवत्ता को बेहतर बनाने और बच्चों की बुनियादी शिक्षा shiksha को मजबूत करने के लिए राज्य सरकार government ने एक बड़ी पहल शुरू की है। निपुण भारत मिशन nipun bharat mission के अंतर्गत प्रदेश के 4.7 लाख से अधिक प्राथमिक शिक्षकों teacher को एक विशेष 5 दिवसीय प्रशिक्षण दिया जाएगा।

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बच्चों की नींव को मजबूत करने की कोशिश

इस प्रशिक्षण कार्यक्रम का मकसद प्राथमिक कक्षाओं class में पढ़ाई की पद्धति को और प्रभावशाली बनाना है, ताकि बच्चे पढ़ने, लिखने और गणना जैसे मूल कौशलों में दक्ष बन सकें। एनसीईआरटी के नए पाठ्यक्रम के आधार पर यह प्रशिक्षण तैयार किया गया है, जिसमें स्थानीय कहानियों, गतिविधि आधारित शिक्षण और छात्र-केंद्रित पद्धति को अपनाने पर जोर दिया जाएगा।

 

भाषा और गणित पर विशेष ध्यान

शिक्षकों teacher को खास तौर पर भाषा और गणित के बुनियादी कौशल जैसे – स्पष्ट बोलना, ध्वनियों की पहचान, पढ़ने की आदत, समझने की क्षमता, गणना प्रक्रियाएं – इन सभी पर प्रभावी ढंग से कार्य करने की ट्रेनिंग training दी जाएगी। इसके लिए उन्हें प्रायोगिक शिक्षण सामग्री और व्यवस्थित अभ्यास तकनीकें भी उपलब्ध कराई जाएंगी।

आकलन आधारित शिक्षा पर जोर

शिक्षकों teacher को आकलन आधारित शिक्षण की ट्रेनिंग training भी दी जाएगी जिसमें शामिल हैं: स्पॉट मूल्यांकन, फॉर्मेटिव टेस्ट, समेकित मूल्यांकन, पुनरावृत्ति योजनाएं yojnaon । इन सभी तकनीकों से यह सुनिश्चित किया जाएगा कि हर छात्र की समझ का समय-समय पर मूल्यांकन हो और आवश्यकता अनुसार सुधारात्मक कदम उठाए जाएं।

मास्टर ट्रेनर्स देंगे प्रशिक्षण

प्रशिक्षण training की जिम्मेदारी राज्य से लेकर ब्लॉक स्तर तक प्रशिक्षित मास्टर ट्रेनर्स को सौंपी गई है। प्रशिक्षण से पहले और बाद में टेस्ट test भी लिए जाएंगे ताकि यह देखा जा सके कि इसका प्रभाव कितना पड़ा। डिजिटल माध्यमों जैसे यूट्यूब सेशन, व्हाट्सएप ग्रुप्स, और संकुल बैठकों के जरिए भी जानकारी information और सामग्री साझा की जाएगी।

क्या है जीआरआर मॉडल?

प्रशिक्षण training में ‘ग्रेजुअल रिलीज ऑफ रिस्पांसिबिलिटी (GRR) मॉडल’ को समझाया जाएगा। इसमें शिक्षक teacher पहले खुद उदाहरण देते हैं, फिर बच्चों को निर्देशित करते हैं और अंत में उन्हें स्वतंत्र रूप से अभ्यास करने देते हैं। यह तरीका छात्रों की सीखने की गति और आत्मनिर्भरता को बढ़ाता है।

 

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