UP में कम छात्र संख्या वाले स्कूलों का समायोजन: शिक्षामित्रों और गांव के बच्चों पर मंडराया खतरा, पढ़िए सूचना

By Jaswant Singh

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UP में कम छात्र संख्या वाले स्कूलों का समायोजन: शिक्षामित्रों और गांव के बच्चों पर मंडराया खतरा, पढ़िए सूचना

उत्तर प्रदेश UP में अब 50 से कम छात्र संख्या वाले स्कूलों school का भी समायोजन किया जाएगा। बेसिक शिक्षा परिषद basic shiksha parishad ने इस संबंध में आदेश जारी कर दिया है और जिलास्तरीय अधिकारियों से विद्यालयों vidalaya की सूची मांगी गई है।प्रशासन इसे शिक्षा व्यवस्था के लिए सकारात्मक कदम बता रहा है, लेकिन जमीनी स्तर पर इसका विरोध तेज हो गया है। शिक्षक संगठन, शिक्षामित्र, रसोइया और ग्रामीण इसका खुला विरोध कर रहे हैं। उनका कहना है कि इससे गांव के छोटे बच्चों की शिक्षा पर गंभीर असर पड़ेगा, शिक्षामित्रों shikshamitro और रसोइयों के रोजगार पर संकट आ जाएगा और शिक्षा का अधिकार अधिनियम (RTE) भी प्रभावित होगा। यह निर्णय ग्रामीण शिक्षा व्यवस्था को झटका दे सकता है।

UP में 50 से कम छात्र संख्या वाले प्राथमिक स्कूलों school को पास के बड़े स्कूलों school से जोड़ने (पेयरिंग) की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है। इसका सीधा असर गांव के छोटे बच्चों पर पड़ेगा। शिक्षकों teacher का कहना है कि छोटे बच्चे एक-दो किलोमीटर दूर स्कूल नहीं जा सकते, जिससे वे शिक्षा से वंचित हो सकते हैं। ग्रामीण इलाकों में कई स्कूल School इसलिए बनाए गए थे ताकि बच्चों को नजदीक शिक्षा shiksha मिले, लेकिन इस समायोजन smayojan से बच्चों को लंबी दूरी तय करनी पड़ेगी, जिससे गरीब परिवारों के बच्चों की पढ़ाई पूरी तरह रुक सकती है।

UP जूनियर शिक्षक संघ और अन्य शिक्षक संगठनों का दावा है कि इस समायोजन smayojan के बाद बड़ी संख्या में शिक्षामित्र, रसोइये और अन्य गैर-शिक्षकीय स्टाफ का पद समाप्त कर दिया जाएगा। पहले से ही शिक्षामित्रों shikshamitro का वेतन और नौकरी अस्थिर है, अब समायोजन smayojan के नाम पर उनके रोजगार भी छिन सकते हैं। शिक्षक teacher संगठनों ने इस आदेश के खिलाफ शांतिपूर्ण आंदोलन की घोषणा कर दी है। उनका कहना है कि सरकार government बेरोजगारी बढ़ा रही है और जिनके पास काम है, उनसे भी वह छीनने जा रही है।

UP बेसिक शिक्षा अधिकारी BSA भले इसे शिक्षा स्तर सुधारने की योजना बता रहे हों, लेकिन शिक्षक संघ teacher sangh और ग्राम प्रधानों का मानना है कि यह निर्णय बिना ग्राम शिक्षा समिति की सहमति के लिया गया है, जो अव्यावहारिक है। शिक्षक संगठन इसे शिक्षा अधिकार कानून का खुला उल्लंघन मान रहे हैं। बहराइच जिले में ही 123 स्कूल इस प्रक्रिया से प्रभावित होंगे। ग्रामीणों का कहना है कि सरकार ने पहले शिक्षा मित्रों shikshamitro का मानदेय घटाया, अब उनके पद भी खत्म किए जा रहे हैं। अगर जरूरत पड़ी तो बड़े स्तर पर आंदोलन किया जाएगा।

बहराइच के बीएसए BSA आशीष कुमार सिंह का कहना है कि कम छात्र संख्या वाले स्कूलों school को पास के स्कूलों school से जोड़ने से बच्चों को अच्छा प्रतिस्पर्धात्मक माहौल मिलेगा। उनका दावा है कि खाली होने वाले स्कूल school भवनों में साइंस लैब, लाइब्रेरी और अन्य सुविधाएं बनाई जाएंगी। अधिकारियों के मुताबिक, यह कदम बच्चों के शैक्षिक विकास के लिए जरूरी है। लेकिन सवाल उठता है कि क्या गरीब गांव के बच्चों के लिए दूरी बढ़ाना वास्तव में विकास है या शिक्षा से वंचित करने की शुरुआत?

UP सरकार government के इस फैसले से शिक्षा व्यवस्था में बड़े बदलाव की शुरुआत हो रही है, लेकिन ग्रामीण इलाकों में इसके दूरगामी नकारात्मक प्रभाव देखने को मिल सकते हैं। गरीब बच्चों की शिक्षा, शिक्षामित्रों shikshamitro की आजीविका और रसोइयों का भविष्य अब अधर में लटकता नजर आ रहा है।

 

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