नई कर नीति 2025: दंपति ऐसे उठाएं अधिकतम लाभ ,देखें और फिर करें ऐसे चुनाव

By Jaswant Singh

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नई कर नीति 2025: दंपति ऐसे उठाएं अधिकतम लाभ ,देखें और फिर करें ऐसे चुनाव

नई कर नीति 2025: दंपति ऐसे उठाएं अधिकतम लाभ ,देखें और फिर करें ऐसे चुनाव

एक फरवरी को पेश हुए, बजट 2025 में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने आय करदाताओं की बड़ी राहत देते हुए 12 लाख तक की आय को कर मुक्त करने का ऐलान किया है। हालांकि, नौकरीपेशा विवाहित जोड़े इस बात को लेकर अब भी असमंजस में हैं कि उन्हें सबसे ज्यादा कर की बचत कौन सी कर व्यवस्था में होगी। खासतौर पर मकान किराया भत्ता यानी एचआरए के मामले में।

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उनके मुताबिक एचआरए से कर बचाने में पुरानी कर व्यवस्था ज्यादा फायदेमंद रहती है, लेकिन नई कर व्यवस्था में कर छूट बढ़ाए जाने से गणित बदल गया है। कर विशेषज्ञों का कहना है कि इस स्थिति में पति-पत्नी में से किसी एक को पुरानी कर व्यवस्था में ही एचआरए, का दावा करने पर कर की बचत हो सकती है।

नई कर नीति 2025: दंपति ऐसे उठाएं अधिकतम लाभ ,देखें और फिर करें ऐसे चुनाव

किराये की कर बचत में अहम भूमिका: पुरानी कर व्यवस्था में कई कर छूट दावों का लाभ मिलता है, जिसकी वजह से इसे फायदे का सौदा माना जाता था। लेकिन अब इसका लाभ लेने के लिए न्यूनतम कटौती को दोगुना करने की जरूरत होगी। उदाहरण के लिए अगर कोई 24 लाख रुपये से ज्यादा कमाता है तो ऐसे करदाता को पुरानी कर व्यवस्था में बेहतर फायदा उठाने के लिए कम से कम आठ लाख की कटौती और छूट की जरूरत होगी। अगर उसकी दूसरी कटौतियां जैसे- 80 सी, स्वास्थ्य बीमा और एनपीएस भी जोड़ लिया जाए तो वो महज 2.75 लाख तक ही कर बचा सकते हैं। आकी के 5.25 लाख रुपये की बचत के लिए उन्हें एचआरए अथवा कार लीज का सहारा लेना पड़ेगा।

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विशेषज्ञों के अनुसार, कार लीज का विकल्प केवल कुछ बड़ी कंपनियों के प्रबंधकीय पदों पर कार्यरत कर्मियों को मिलता है, इसलिए यह विकल्प सभी के लिए, उपलब्ध नहीं है। इसलिए, एचआरए पर इसका लाभ उठाया जा सकता है।

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हालांकि, इसके लिए घर का किराया काफी ज्यादा होना चाहिए, तभी पुरानी कर व्यवस्था में इसका फायदा मिल पाएगा। यह रणनीति कारगर विशेषज्ञों के अनुसार, दिल्ली, गुरुग्राम, मुंबई या बेंगलुरु जैसे शहरों में रहने वाले दोहरी आय वाले परिवार मकान किराए पर भारी खर्च करते हैं। कई दंपति किराए का भुगतान साइश करते हैं ताकि घरेलू खचों का पूरा बोझ एक व्यक्ति पर न पड़े और दोनों को एचआरए का लाभ मिल सके। लेकिन वित्त वर्ष 2025-26 से यह बेहतर होगा कि पति या पत्नी में से कोई एक

पूरा किराया वहन करे, ताकि इस अनिवार्य खर्च का इस्तेमाल आयकर के बोझ को कम करने में किया जा सके। अगर उदाहरण से समझे तों मान लीजिए प्रीति और राहुल शादीशुदा हैं, जो दिल्ली में 60,000 महीने का किराया (7.2 लाख सालाना) भरते हैं। निशा की सालाना कमाई 35 लाख है, जबकि राहुल की 30 लाख है। अगर ये दोनों किराया बराबरी से बांटते हैं और दोनों ही एचआरए का दावा करते हैं, तो हर एक को (मानक कटौती और 80सी छोड़कर) 3.6 लाख रुपये से अधिक की कटौती का

दावा करना होगा। इसी से वे बराबर का फायदा ले सकेंगे। लेकिन अगर उनका मूल वेतन, कुल वेतन का 40 फीसदी है और एचआरए मूल वेतन का 50 फीसदी है तो प्रीति को 2.2 लाख और राहुल को 2.4 लाख तक की एचआरए छूट मिलेगी। इससे उनकी कर देनदारी बढ़ जाएगी। नई व्यवस्था में अगर राहुल नई कर प्रणाली को चुनते हैं और प्रीति पुरानी कर प्रणाली में रहती हैं, तो प्रीति को पूरा किराया चुकाने से कर लाभअधिक मिलेगा। इस तरीके से वह 1.02 लाख का अतिरिक्त टैक्स बचा सकती हैं।

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