क्या विडंबना है !!सुनिए 69000 शिक्षक भर्ती मामला
क्या विडंबना है !!सुनिए 69000 शिक्षक भर्ती मामला एक माँ कह रही है कि जब उसका बच्चा पेट(गर्भ) में था तब भी वह धरना में आती थी आज उसका बच्चा 5 वर्ष का हो गया तब भी वह बच्चे को लेकर आज धरने में आई है ये हमारे सिस्टम पर तमाचा ही है कि अब तक न्याय न मिल पाया न सरकार से न कोर्ट से सरकार ने अपनी गलती मानी हाईकोर्ट ने भी माना मामला सुप्रीम कोर्ट गया
तत्कालीन पूर्व चीफ जस्टिस चंद्रचूड़ जी ने स्टे लगा दिया और अगले 7 दिन बाद केस को फाइनल करने को बोला अब वो 7 दिन आज तक न हो पाए लगभग एक साल होने को है एडवोकेटस ने उनके समय मेंशन किया तो बोल दिया मेरे पास और भी जरूरी केस है शायद स्टे देते समय ये न सोचा था उसके बाद अब तक 20 से अधिक बार डेट लग चुकी है सुनवाई न हो पा रही जबकि कई बार केस मेंशन भी किया गया क्यों न हो पा रही ये बात स्वंय ब्रह्मा जी भी नही बता पायेंगे !! बता सकते है सिर्फ वही जिन्हें हम धरती के भगवान कहते है दूसरी तरफ इंचार्ज मामले में सरकार केस मेंशन कराती है और अगले दिन सुनवाई करा लेती है
सरकार अगर उक्त अभ्यर्थियों को न्याय देना चाहती है तो मामले में जबाब लगाये या अर्जेंसी फ़ाइल करके सुनवाई करते वरना कही ऐसा न हो कि ये वो छोटा बच्चा आज 5 वर्ष का है वो 18 वर्ष का हो जाये और तब तक न्याय न हो तो फिर ?? ये हमारे लोकतंत्र और न्यायिक तंत्र पर करारा आघात होगा !देर से मिला न्याय भी अन्याय होता है ऐसा कई दार्शनिक और राष्ट्रपति महोदया ने भी कहा है