इस राज्य में सभी संविदा कर्मचारियों का होगा नियमितीकरण! अब सुप्रीम कोर्ट ने अनियमित कर्मचारियों के हित में सुनाया फैसला, सरकार को दिया ये निर्देश
New Delhi: देशभर में संविदा कर्मचारियों samvida karmchariyon के नियमतीकरण की मांग उठने लगी है। अलग-अलग राज्यों State samvida karmchariyon में संविदा कर्मचारी नियमितीकरण सहित अपनी अन्य मांगों को लेकर प्रदर्शन कर रहे हैं।हालांकि कई राज्यों की सरकारों ने संविदा कर्मचारियों karmchariyon का नियमितीकरण किया है, लेकिन लाखों कर्मचारी आज भी नियमितीकरण से वंचित हैं। इन सब के बीच सुप्रीम कोर्ट SC ने संविदा कर्मचारियों samvida karmchariyon के लिए अहम फैसला लेते हुए नियमित करने का आदेश दिया है। मामले में सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट SC ने हाईकोर्ट HC के फैसले को खारिज कर दिया है।
Contract Employees Regularization Latest News याचिकाकर्ता कर्मचारियों karmchariyon का कहना था कि हम सालों yey से काम कर रहे हैं, लेकिन हमें नियमित करने से सरकार government ने इनकार कर दिया है। इसके अलावा वेतन vetan भी हमें बहुत कम मिल रहा है, जबकि इसी पद के नियमित कर्मचारियों karmchariyon का वेतन कहीं ज्यादा है। बेंच ने कहा कि आउटसोर्सिंग एक ढाल नहीं बन सकती, जिसका इस्तेमाल करते हुए स्थायी कार्यों में लगे कर्मचारियों karmchariyon को उचित वेतन और नौकरी job से वंचित रखा जाए। अदालत ने यह भी स्पष्ट किया कि राज्य (संघ और राज्य सरकारें)कोई प्राइवेट कंपनियों की तरह मार्केट प्लेयर नहीं हैं बल्कि संवैधानिक नियोक्ता हैं।
उन्हें फंड की कमी जैसी बात उन लोगों के लिए नहीं करनी चाहिए, जो सरकार government के बुनियादी और जरूरी कामों को अंजाम दे रहे हैं। बेंच ने कहा कि यदि कोई काम लगातार चल रहा है तो फिर संस्थान को उसके संबंध में पद भी निकालने चाहिए और लोगों को नियमित भर्ती देनी चाहिए। दरअसल उत्तर प्रदेश up उच्च शिक्षा सेवा आयोग के दैनिक वेतन vetan भोगी कर्मचारियों karmchariyon ने खुद को नियमित किए जाने की अपील कमिशन से की थी। इस अपील को खारिज कर दिया गया और कहा गया कि फंड fund की कमी है। इसी के खिलाफ वकील श्रीराम पाराक्कट के माध्यम से इन कर्मचारियों karmchariyon ने शीर्ष अदालत का रुख किया। इस पर बेंच ने सरकारी संस्थानों को नसीहत दी है।
जस्टिस नाथ ने अपने फैसले में लिखा कि यदि लंबे समय तक चलने वाले नियमित कामों में अस्थायी कर्मचारियों karmchariyon को रखा जाता है तो इससे लोक प्रशासन में भरोसा भी कम होता है। इसके अलावा समानता के अधिकार और उसके संरक्षण के वादे का भी हनन होता है। बेंच ने कहा कि संस्थानों को यह भी बताना चाहिए कि नियमित कामों के लिए भी वे पद मंजूर ना करते हुए क्यों अस्थायी कर्मचारी karmchari रख रहे हैं। बेंच ने कहा कि असुरक्षा के दायरे में रहते हुए आखिर कोई कब तक नौकरी job कर सकता है। अदालत ने कहा कि एडहॉक व्यवस्था तब चलती है, जब पारदर्शिता की कमी हो जाती है। यह फैसला जस्टिस विक्रम नाथ और संदीप मेहता की पीठ ने उत्तर प्रदेश उच्च शिक्षा सेवा आयोग के दैनिक वेतन vetan भोगी कर्मचारियों karmchariyon द्वारा दायर अपील पर सुनाया।




