कोर्ट आदेशों के अनुपालन के लिए शासन ने अधिकारियों को दी चेतावनी
शिक्षकों और शिक्षकेत्तर कर्मचारियों के लिए बड़ी राहत की खबर! वर्षों से अदालतों के आदेशों के अनुपालन का इंतजार अब खत्म होने जा रहा है। शासन ने सख्त रुख अपनाते हुए अधिकारियों को चेतावनी दी है। अब देरी या लापरवाही पर सीधी विभागीय कार्रवाई होगी।
गोंडा लंबे समय से न्यायालय के आदेशों के अनुपालन न होने से परेशान शिक्षकों और शिक्षकेत्तर कर्मचारियों के लिए राहत की खबर आई है। उत्तर प्रदेश शासन के बेसिक एवं माध्यमिक शिक्षा विभाग ने अब ऐसे मामलों में सख्ती बरतने का निर्णय लिया है। अपर मुख्य सचिव बेसिक एवं माध्यमिक शिक्षा विभाग ने सभी संबंधित अधिकारियों को स्पष्ट निर्देश जारी करते हुए कहा है कि न्यायालय के आदेशों का समयबद्ध अनुपालन हर हाल में सुनिश्चित किया जाए। अन्यथा जिम्मेदार अधिकारी को व्यक्तिगत रूप से उत्तरदायी माना जाएगा।
जारी आदेश में कहा है कि कई मामलों में न्यायालय द्वारा दिए गए निर्देशों के बावजूद सक्षम प्राधिकारी समय पर निर्णय नहीं ले रहे हैं। जिससे शासन की छवि पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है। आदेश में यह भी उल्लेख है कि कई बार निचले स्तर की लापरवाही के कारण उच्च अधिकारी न्यायालय में स्पष्टीकरण प्रस्तुत करने को विवश होते हैं। जबकि वास्तविक जिम्मेदारी नीचे के स्तर के अधिकारियों की होती है। अपर मुख्य सचिव ने निर्देशित किया है कि सक्षम प्राधिकारी स्वयं या अपने स्तर के अधिकारी ही अदालत में जवाब प्रस्तुत करें। उच्च अधिकारियों को अनावश्यक रूप से अदालत में पेश न होना पड़े। इसके लिए सभी स्तरों पर समन्वय और सतर्कता बरती जाए।
कोर्ट के आदेशों की अवहेलना पर होगी सख्त कार्रवाई
शासन ने यह भी स्पष्ट कर दिया है कि यदि किसी अधिकारी द्वारा न्यायालय के आदेशों की अवहेलना की गई या उन्हें जानबूझकर लंबित रखा गया। तो उसके विरुद्ध कठोर विभागीय कार्रवाई की जाएगी। विभाग ने आदेश की प्रति सभी महानिदेशकों, निदेशकों, सचिवों, शिक्षा परिषदों, वित्त नियंत्रकों और सभी सहायक शिक्षा निदेशकों को भेज दी है। ताकि तत्काल प्रभाव से इसका पालन सुनिश्चित कराया जा सके। उम्मीद की जा रही है कि कोर्ट में वर्षों से लंबित पड़े शिक्षकों और शिक्षकेत्तर कर्मचारियों के मामलों में अब न्याय पाने की राह आसान होगी।




