DA Hike 2025 : महंगाई भत्ते में कितनी होगी वृद्धि, क्या कहते हैं 5 महीने के आंकड़े? कर्मियों को मिल सकता है 3% DA
सरकार ने पिछली बार अपने कर्मचारियों और पेंशनरों के महंगाई भत्ते एवं महंगाई राहत में दो प्रतिशत की बढ़ोतरी की थी। अब छह माह बाद फिर से डीए/डीआर की दरों में बदलाव संभावित है। अनुमान है कि कर्मियों/पेंशनरों को 3 फीसदी डीए मिल सकता है। केंद्र सरकार ने पिछली बार अपने कर्मचारियों और पेंशनरों के महंगाई भत्ते एवं महंगाई राहत में दो प्रतिशत की बढ़ोतरी की थी। इसके चलते जनवरी 2025 से लागू हुए डीए/डीआर की दर 55 पर पहुंच गई थी। अब छह माह बाद फिर से डीए/डीआर की दरों में बदलाव संभावित है।
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सरकार ने आठवें वेतन आयोग के गठन की घोषणा कर रखी है। इसकी सिफारिशें पहली जनवरी 2026 से लागू होनी हैं। हालांकि अभी तक आयोग के चेयरमैन व सदस्यों की नियुक्ति नहीं हो सकी है। जनवरी से मई तक के अखिल भारतीय उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (औद्योगिक श्रमिक) के ग्राफ को देखते हुए डीए/डीआर में तीन फीसदी की वृद्धि के संकेत दिख रहे हैं। यह संभावना, मई तक के सूचकांक के आधार पर है। अखिल भारतीय सीपीआई-आईडब्लू, मई 2025 के लिए 0.5 अंक बढ़कर 144.0 पर पहुंच गया। अभी जून 2025 के ऑल-इंडिया सीपीआई-आईडब्लू की रिपोर्ट आना बाकी है।
जानकारों का कहना है कि पांच माह के डेटा के अनुसार, जुलाई 2025 से केंद्रीय सरकारी कर्मचारियों और पेंशनरों के लिए अपेक्षित महंगाई भत्ता/महंगाई राहत, 58 प्रतिशत होने की संभावना है। हालांकि अभी जून के आंकड़े जारी होना बाकी हैं। इसके बाद ही डीए/डीआर में बढ़ोतरी का निश्चित आंकड़ा सामने आ सकेगा। फाइनल डेटा जुलाई में जारी होगा। केंद्र सरकार ने पिछली बार डीए में दो फीसदी की वृद्धि की थी। इसकी एक अहम वजह दिसंबर 2024 के लिए ऑल-इंडिया सीपीआई-आईडब्लू में 0.8 अंक की कमी आना रही थी। तब श्रम ब्यूरो द्वारा जारी सूचकांक डेटा 143.7 अकों पर संकलित हुआ था। उससे पहले गत वर्ष दीवाली पर महंगाई भत्ते में 3 फीसदी की बढ़ोतरी की गई थी। सातवें वेतन आयोग के अनुसार, महंगाई भत्ते और महंगाई राहत की गणना अखिल भारतीय उपभोक्ता मूल्य सूचकांक के आधार पर होती है।
मई 2025 के लिए सीपीआई-आईडब्ल्यू 0.5 अंक बढ़कर 144.0 पर पहुंच गया है। जून माह की सीपीआई-आईडब्ल्यू रिपोर्ट आना बाकी है। इसके बाद ही डीए डीआर में बढ़ोतरी का स्पष्ट संकेत मिल सकेगा। श्रम ब्यूरो, श्रम एवं रोजगार मंत्रालय से संबंधित कार्यालय द्वारा हर महीने औद्योगिक श्रमिकों के लिए उपभोक्ता मूल्य सूचकांक का संकलन देश परिव्याप्त 88 महत्वपूर्ण औद्योगिक केंद्रों के 317 बाजारों से एकत्रित खुदरा मूल्यों के आधार पर किया जाता है। अप्रैल 2025 का अखिल भारत उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (औद्योगिक श्रमिक), मार्च 2025 के 143.0 के मुकाबले 143.5 अंकों के स्तर पर संकलित हुआ था।
अखिल-भारत समूह-वार सूचकांक, मार्च-अप्रैल 2025 …
समूह मार्च 2025 अप्रैल 2025
खाद्य एवं पेय 146.2 146.5
पान, सुपारी, तंबाकू एवं 164.8 165.8
नशीले पदार्थ
कपड़े एवं जूते 149.4 150.4
आवास 134.6 134.6
ईंधन एवं प्रकाश 148.5 152.4
विविध 138.6 139.0
सामान्य सूचकांक 140.1 140.6
अखिल-भारत समूह-वार सूचकांक, मई 2025 …
खाद्य एवं पेय 146.9
पान, सुपारी, तंबाकू एवं 166.6
नशीले पदार्थ
कपड़े एवं जूते 151.0
आवास 134.6
ईंधन एवं प्रकाश 153.6
विविध 141.4
सामान्य सूचकांक 144.0
कॉन्फेडरेशन ऑफ सेंट्रल गवर्नमेंट एम्प्लाइज एंड वर्कर्स के महासचिव एसबी यादव ने बजट सत्र से पहले कैबिनेट सचिव को भेजे अपने पत्र में महंगाई भत्ता/महंगाई राहत यानी ‘डीए/डीआर’ की गणना का कैलकुलेटर बदलने की मांग की थी। कर्मचारी नेता का कहना था कि डीए की दर तय करने के लिए 12 महीने के औसत को तीन महीने के औसत से बदला जाना चाहिए। इसका अर्थ है कि परिवर्तनीय डीए दिया जाना चाहिए। इससे केंद्र सरकार के कर्मचारियों को हर तीन महीने में वास्तविक मूल्य वृद्धि से मुआवजा मिल सकेगा। सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के कर्मचारियों का डीए इसी आधार पर तय होता है। इतना ही नहीं, केंद्रीय कर्मियों और पेंशनरों के लिए अलग से ‘उपभोक्ता मूल्य सूचकांक’ तैयार करने की मांग की गई है।
कॉन्फेडरेशन ऑफ सेंट्रल गवर्नमेंट एम्प्लाइज एंड वर्कर्स द्वारा 17 जनवरी को यह पत्र कैबिनेट सचिव को भेजा गया था। इसमें कहा गया कि बैंकिंग कर्मचारियों का डीए हर साल प्रत्येक तिमाही यानी फरवरी-अप्रैल, मई-जुलाई, अगस्त-अक्टूबर और नवंबर-जनवरी में संशोधित किया जाता है।
यादव के मुताबिक, यदि जनवरी में मूल्य वृद्धि हो रही है, तो इसकी आंशिक भरपाई 12 महीनों के बाद की जाती है। डीए की गणना और भुगतान छह महीने के बजाय हर तीन महीने में किया जाना चाहिए। पॉइंट टू पॉइंट डीए प्रदान किया जाना चाहिए। अब डीए को न्यूनतम मूल्य पर राउंड ऑफ किया जाता है। जैसे हम 42.90% डीए के लिए पात्र हैं तो हमें केवल 42% डीए स्वीकृत किया जाता है। 0.9% डीए से केंद्रीय कर्मचारियों को छह महीने तक वंचित किया जाता है। केंद्र सरकार के कर्मियों को प्वाइंट-टू-प्वाइंट डीए प्रदान किया जाना चाहिए। बैंकों और एलआईसी के कर्मचारियों को प्वाइंट-टू-प्वाइंट डीए मिलता है।
कर्मियों और पेंशनभोगियों के लिए अलग से उपभोक्ता सूचकांक का निर्माण करने की मांग की गई है। सरकार द्वारा उपभोक्ता मूल्य सूचकांक की गणना के लिए उपयोग की जाने वाली 465 वस्तुओं को आधार बनाया जाता है। चूंकि इनमें से कई वस्तुओं का उपयोग केंद्र सरकार के कर्मचारियों द्वारा दैनिक जीवन में नहीं किया जाता है। यह केंद्र सरकार के कर्मचारियों और पेंशनभोगियों द्वारा उपयोग की जाने वाली वास्तविक वस्तुओं की मूल्य वृद्धि के प्रभाव को बेअसर कर देता है। जैसे इलेक्ट्रॉनिक वस्तुओं की खरीददारी रोजाना तो होती नहीं है। फ्रिज, वॉशिंग मशीन, टीवी या कोई दूसरा बिजली का उपकरण, कई वर्ष बाद ही खरीदे जाते हैं।
एक बार खरीद के बाद इनकी कीमत घटती चली जाती है। सरकारी एजेंसियों और दूसरी संस्थाओं द्वारा महंगाई का जो ग्राफ पेश किया जाता है, उसमें अंतर होता है। ऐसे में महंगाई भत्ता तय करने के लिए जो गणना होती है, उसमें भी बदलाव किया जाना चाहिए।
कर्मचारियों को मूल्य वृद्धि की तुलना में वास्तविक से कम महंगाई भत्ता मिल रहा है। ऐसे में केंद्र सरकार के कर्मचारियों और पेंशनभोगियों के लिए एक अलग ‘उपभोक्ता मूल्य सूचकांक’ बनाने की आवश्यकता है। कॉन्फेडरेशन के महासचिव के अनुसार, छठे सीपीसी में पैरा संख्या 4.1.13 के तहत आयोग का विचार है कि राष्ट्रीय सांख्यिकी आयोग को विशेष रूप से सरकारी कर्मचारियों को कवर करने वाले एक विशिष्ट सर्वेक्षण की संभावना तलाशने के लिए कहा जा सकता है। इसके जरिए सरकारी कर्मियों के लिए उपभोग टोकरी प्रतिनिधि का निर्माण किया जा सकता है। ऐसे में उनके लिए अलग से सूचकांक तैयार किया जाए।
श्रम ब्यूरो, जो श्रम एवं रोजगार मंत्रालय का एक संलग्न कार्यालय है, देश के 88 औद्योगिक महत्वपूर्ण केंद्रों में फैले 317 बाजारों से एकत्रित खुदरा कीमतों के आधार पर हर महीने औद्योगिक श्रमिकों के लिए उपभोक्ता मूल्य सूचकांक संकलित कर रहा है। यह सूचकांक 88 औद्योगिक महत्वपूर्ण केंद्रों के लिए संकलित किया जाता है। अखिल भारतीय उपभोक्ता मूल्य सूचकांक, अगले महीने के अंतिम कार्य दिवस पर जारी किया जाता है। इसमें डीए की गणना हर छह महीने में की जाती है। श्रम ब्यूरो, शिमला द्वारा बनाए गए औद्योगिक श्रमिकों के लिए उपभोक्ता मूल्य सूचकांक और खुदरा कीमतें अलग-अलग खुदरा दरें दिखाते हैं।
राज्य सरकार द्वारा संचालित सहकारी समितियों सहित आवश्यक वस्तुओं की खुदरा कीमतों और उक्त सूचकांक द्वारा तैयार खुदरा कीमतों में अंतर होता है। वस्तुओं की कीमत का शुद्ध अंतर 30% तक भिन्न होता है। श्रम ब्यूरो, शिमला की तुलना में केंद्र सरकार के अन्य विभाग, जैसे आर्थिक और सांख्यिकी निदेशालय द्वारा जारी खुदरा कीमतों में भी अंतर देखने को मिलता है। उपभोक्ता मामले विभाग (मूल्य निगरानी प्रभाग) का डेटा भी अलग रहता है।
ऐसे में केंद्रीय कर्मचारी और पेंशनभोगी, उचित उपभोक्ता मूल्य सूचकांक से वंचित हैं। श्रम ब्यूरो, शिमला द्वारा बनाए गए खुदरा मूल्य, कम कीमतों पर आधारित होता है। महंगाई भत्ता और महंगाई राहत, उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) बिंदुओं पर आधारित है। वस्तुओं की खुदरा कीमतें तय करने के लिए उचित पद्धति अपनाई जाए। कॉन्फेडरेशन ऑफ सेंट्रल गवर्नमेंट एम्प्लाइज एंड वर्कर्स द्वारा कैबिनेट सचिव से केंद्र सरकार के कर्मचारियों और पेंशनभोगियों के महंगाई भत्ते एवं महंगाई राहत में सुझाए गए उपरोक्त मुख्य सुधारों को जल्द से जल्द लागू करने का अनुरोध किया गया था।