इस राज्य में संविदा कर्मचारियों का नियमितीकरण का रास्ता साफ, हाईकोर्ट ने याचिका पर सुनवाई करते हुए दे दी उम्र भर की खुशियां
बेंगलुरु: संविदा कर्मचारियों karmchariyon ने नियमितीकरण की मांग को लेकर देश Desh के कई राज्यों state में मोर्चा खोल रखा है। उत्तर प्रदेश सहित कई राज्यों state में संविदा कर्मचारी Karmchari अपनी मांगों को लेकर लगातार प्रदर्शन कर रहे हैं।Contract Employees Regularization Latest News मामले में सुनवाई न्यायमूर्ति एस सुनील दत्त यादव ने की। कोर्ट Court ने भगवान दास और 15 अन्य द्वारा दायर याचिका को आंशिक रूप से स्वीकार करते हुए आदेश Order जारी किया।
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याचिकाकर्ता वाल्वमैन और पंप ऑपरेटर के रूप में काम करते थे। राज्य सरकार Government द्वारा 2006 में ठेका श्रम प्रणाली को समाप्त करने के बाद, उन्होंने एक सेवा प्रदाता एजेंसी के माध्यम से अपनी सेवाएं जारी रखीं। 28 जुलाई July 2016 को, इसी तरह के 79 ठेका श्रमिकों की सेवाओं को नियमित किया गया, जिससे याचिकाकर्ताओं ने नगर निगम से उन्हें लाभ देने का अनुरोध किया। जब उनका अनुरोध अस्वीकार कर दिया गया, तो उन्होंने डिप्टी कमिश्नर से संपर्क किया।
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वहीं, 12 दिसंबर, December 2019 को, उनके अनुरोध को डिप्टी कमिश्नर ने खारिज कर दिया। इसके बाद, याचिकाकर्ताओं ने उमादेवी मामले में सुप्रीम कोर्ट SC के फैसले के आधार पर अपनी सेवाओं को नियमित करने की मांग करते हुए उच्च न्यायालय में याचिका दायर की। न्यायमूर्ति सुनील दत्त यादव ने कहा कि याचिकाकर्ताओं ने एक ठेकेदार के माध्यम से वैधानिक प्राधिकरण को सेवाएं प्रदान कीं, जिसे आउटसोर्स एजेंसी outsourc Agency के रूप में जाना जाता है।
न्यायाधीश ने आगे कहा कि ये ठेका कर्मचारी karmchari नगर निगम में भर्ती प्रतिबंध के कारण स्वीकृत पदों के विरुद्ध काम कर रहे थे। न्यायाधीश ने कहा कि सर्वोच्च न्यायालय ने स्पष्ट रूप से ठेका श्रम और आउटसोर्सिंग outsourcing को सीधी भर्ती से बचने के तरीकों के रूप में मान्यता दी है। उन्होंने स्पष्ट किया कि याचिकाकर्ता केवल सेवा की निरंतरता के हकदार होंगे, और उनकी सेवा अवधि सेवानिवृत्ति के बाद के लाभों में गिनी जाएगी। न्यायमूर्ति यादव ने निष्कर्ष निकाला कि नियमितीकरण आदेश उस तारीख Date से प्रभावी होगा जब उन्होंने 10 साल year की सेवा पूरी की थी।