Home Loan लेना हुआ अब और भी आसान! इतनी कम ब्याज दर देख कर हैरान रह जाएंगे आप

By Jaswant Singh

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Home Loan

Home Loan लेना हुआ अब और भी आसान! इतनी कम ब्याज दर देख कर हैरान रह जाएंगे आप

आज के दौर में बढ़ती महंगाई ने हर किसी के लिए अपना घर Home बनाना एक चुनौती बना दिया है। इस महंगाई के बीच लोग अपने सपनों का आशियाना बनाने के लिए होम लोन (Home Loan) का सहारा लेते हैं। अगर आप भी अपने परिवार के लिए घर बनाने की सोच रहे हैं और बैंक Bank से होम लोन home loan लेने का प्लान बना रहे हैं

तो यह खबर news आपके लिए अच्छी साबित हो सकती है।अभी का समय होम लोन लेने के लिए सबसे सही माना जा रहा है, क्योंकि बैंकों bank’s ने ब्याज दरों (Interest Rates) को काफी कम कर दिया है, जिससे लोन loan लेना अब पहले से कहीं ज्यादा किफायती हो गया है।

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रेपो रेट Rate में कटौती की उम्मीदें भी बढ़ रही हैं। पिछले महीने mahine फरवरी में हुई एमपीसी बैठक (February MPC Meeting) में रेपो रेट (Repo Rate) को 25 आधार अंक घटाने का फैसला लिया गया था। अब खबरें हैं कि नए वित्तीय वर्ष year (Financial Year 2025-2026) में रेपो रेट rate में और कमी देखने को मिल सकती है।

विशेषज्ञों का मानना है कि अगले वित्तीय साल year में बेंचमार्क दरों में 50 से 75 आधार अंकों की कटौती संभव है। इससे न सिर्फ उधार लेने की लागत (Borrowing Cost) कम होगी, बल्कि बाजार में खपत को भी बढ़ावा मिलेगा। कम ब्याज दरों का असर होम लोन home loan की ईएमआई (Home Loan EMI) पर भी पड़ेगा, जिससे आपकी जेब पर बोझ थोड़ा हल्का हो सकता है।

केंद्रीय बैंक यानी रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (Reserve Bank of India) ने फरवरी में रेपो रेट में कटौती का ऐलान किया था, जो पिछले पांच साल year में पहली बार हुआ। अभी रेपो रेट की दर (Repo Rate Rates) 6.25% पर है। इससे पहले मई 2022 से फरवरी 2023 तक आरबीआई RBI ने रेपो रेट को 2.50% तक बढ़ाया था, लेकिन अप्रैल April 2023 से महंगाई को काबू में रखने के लिए इसे 6.50% पर स्थिर रखा गया था। अब इस कटौती से अर्थव्यवस्था को नई गति मिलने की उम्मीद है।

भारतीय अर्थव्यवस्था में हाल के दिनों में सुधार के संकेत भी दिखाई दिए हैं। सूत्रों के मुताबिक, आरबीआई RBI के इस कदम से विकास दर (Growth Rate) में तेजी आएगी। अगले वित्तीय वर्ष year में यह स्थिर रहने की उम्मीद है। सरकार government भी वित्तीय घाटे (Fiscal Deficit) को जीडीपी (GDP) के 4.8% से घटाकर 4.4% करने की कोशिश में जुटी है।

पिछले साल जुलाई-सितंबर में अर्थव्यवस्था 5.6% की दर से बढ़ी थी, जो सात तिमाहियों में सबसे कम थी, लेकिन दिसंबर तिमाही में यह 6.2% तक पहुंच गई। यह बढ़ोतरी खेती और सेवा क्षेत्र से हुई है। निजी और सरकारी खपत में भी इजाफा हुआ, हालांकि पूंजी निर्माण (Capital Formation) 5.7% पर स्थिर रहा, जो पिछली तिमाही में 5.8% था।

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