High Court News : BSA हाजिर हों… बताएं कि किस नियम के तहत अनुकंपा के आधार पर नियुक्ति को नियमित नहीं किया
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने अनुकंपा के आधार पर की गई नियुक्ति को नियमित करने में कथित मनमानी के गंभीर आरोपों पर नाराजगी जताई है। कोर्ट ने जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी (बीएसए), एटा को तलब करते हुए उनसे पूछा है कि किस प्रावधान के तहत अनुकंपा नियुक्ति निश्चित वेतन पर की जा रही है। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने अनुकंपा के आधार पर की गई नियुक्ति को नियमित करने में कथित मनमानी के गंभीर आरोपों पर नाराजगी जताई है। कोर्ट ने जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी (बीएसए), एटा को तलब करते हुए उनसे पूछा है कि किस प्रावधान के तहत अनुकंपा नियुक्ति निश्चित वेतन पर की जा रही है। याची की अनुकंपा के आधार पर हुई नियुक्ति को नियमित करने में क्या कानूनी अड़चनें आर रही हैं। यह आदेश न्यायमूर्ति मंजू रानी चौहान की पीठ ने आशीष कुमार की याचिका पर दिया है।
याची आशीष कुमार सिंह ने चतुर्थ श्रेणी पद पर हुई अनुकंपा नियुक्ति को नियमित करने और 15 सितंबर 2007 की प्रारंभिक नियुक्ति की तारीख से सभी परिणामी लाभ दिए जाने की मांग करते हुए हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की। याची अधिवक्ता ने दलील दी कि बीएसए एटा ने याची के समान मामले में दिनेश कुमार नाम के एक व्यक्ति का अपनी मर्जी के अनुसार उसकी सेवाओं को प्रारंभिक नियुक्ति की तारीख से नियमित कर दिया है। सभी परिणामी लाभ दिए। वहीं, याची को उसके वैध हक से वंचित किया जा रहा है।
याची को लगभग 18 साल बाद भी केवल 2550 रुपये के अल्प निश्चित वेतन पर जीवन यापन करने के लिए छोड़ दिया गया है। हाईकोर्ट ने पक्षों को सुनते हुए बीएसए एटा को 15 अक्तूबर 2025 को व्यक्तिगत रूप से कोर्ट के समक्ष स्पष्टीकरण के साथ उपस्थित होने का निर्देश दिया है। कोर्ट ने रजिस्ट्रार अनुपालन व प्रतिवादी वकील को इस आदेश की तत्काल बीएसए एटा को प्रेषित करने का निर्देश दिया है।
हाईकोर्ट की टिप्पणी
बड़ी संख्या में अनुकंपा के आधार पर कई आश्रितों की निश्चित मानदेय पर नियुक्तियां की गई हैं। यह उत्तर प्रदेश सरकारी सेवक की मृत्यु के उपरांत उसके आश्रितों की भर्ती नियमावली 1974 की अवहेलना है।




