UP में विधायकों की 40% सैलरी बढ़ी.और शिक्षामित्र अब भी 10,000 पर, पढ़िए यह स्पेशल रिपोर्ट
UP में इस वक्त एक स्क्रिप्ट चल रही है, जिसमें दो किरदार हैं ,एक के पास सत्ता का माइक है, दूसरे के पास चॉक और ब्लैकबोर्ड। पहली तरफ,विधानसभा vidhansabha के एसी हॉल में बैठे ‘जनसेवक’, जिन्हें 9 साल बाद 40% सैलरी salary का बंपर जैकपॉट लगा है।दूसरी तरफ धूल-धूप में खड़े, बच्चों को पढ़ाने वाले ‘भविष्य निर्माता’ शिक्षामित्र shikshamitra और अनुदेशक-जो 8 साल से 10,000-9,000 पर गुज़ारा कर रहे हैं और अपने हक के लिए सड़कों पर हैं।
ये कहानी सिर्फ पैसों की नहीं… ये है दोहरे मापदंडों और सियासी सहमति की, जहां सत्ता के मंच पर तालियां बज रही हैं और शिक्षा shiksha के मंच पर नारों की गूंज है।अगर तुलना करें, तो तस्वीर और भी साफ हो जाती है,एक विधायक की सैलरी अब 26 शिक्षामित्रों shikshamitro के बराबर है। मंत्रियों की सैलरी salary शिक्षामित्रों की मांग से 10-15 गुना ज्यादा है। नेताओं की इस बढ़ोतरी का सालाना बोझ 105.21 करोड़ है, जबकि अगर 1.5 लाख शिक्षामित्रों shikshamitro और अनुदेशकों anudeshako का मानदेय mandey 25,000 कर दिया जाए, तो सालाना खर्च 4,500 करोड़ Crore आएगा। शिक्षक संगठन कहते हैं कि यह खर्च बड़ा जरूर है, लेकिन शिक्षा shiksha में निवेश ही असली विकास की नींव है।
इस वक्त यूपी UP की ‘सैलरी salary सागा’ का मंच दो हिस्सों में बंटा है,नेताओं का हिस्सा पहले ही ब्लॉकबस्टर हिट बन चुका है, जबकि शिक्षकों teacher का हिस्सा अभी ‘इंटरवल’ में अटका है। अगर सरकार Government दीवाली Diwali तक उनकी सैलरी salary बढ़ा देती है, तो कहानी का अंत खुशहाल हो सकता है, वरना अगली किस्त में गुस्से और विरोध का स्क्रिप्ट तैयार है। तो सवाल यही है,क्या नेताओं की सैलरी salary बढ़ना ‘जनसेवा’ का इनाम है, या शिक्षकों teacher की अनदेखी सियासत का असली चेहरा? जनता, सोशल मीडिया social media और अदालत,सबकी निगाहें अब कैबिनेट cabinet के अगले सीन पर हैं, और इंतजार है कि इस पिक्चर का असली हीरो कौन बनेगा,नेता जी या वो शिक्षक teacher जो 10,000 में भविष्य गढ़ रहा है।